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ADITYA MISHRA

Tragedy

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ADITYA MISHRA

Tragedy

सीता की अग्निपरीक्षा

सीता की अग्निपरीक्षा

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दोष उसका था ही क्या

अपना कर्म ही तो कर रही थी,

शौक नहीं था उसका वनवास जाना

पतिधर्म ही तो निभा रही थी।


सरल नहीं था जीवन उसका

बाधाओं से पथ भरी थी,

भगवान की अर्द्धांगिनी होके भी

संघर्ष वो कर रही थी।


राम को कभी संदेह न था

सीता के प्रेम और निष्ठा पर,

किंतु समाज ने लांछन लगाया

और उंगली उठाई उनके चरित्र पर।


राम भी चुप ही रहे

ये भूल उनसे हो गई,

सतयुग की ये लांछन प्रथा

कलयुग में भी चल पड़ी।


आज भी कुछ बदला नहीं है

हर मार्ग पर नारी लड़ रही ,

"सीता कब तक देगी अग्निपरीक्षा ?"

ये प्रश्न समाज से कर रही।


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