शुक्रिया
शुक्रिया
मैं कंकर सी ,
खुरदुरी सख्त और बेढंगी
तुमने सीपी सा
अपनाया।
कोमल
अन्तस को मैने
जाने-अनजाने आहत
कर बिखराया।
लेकिन तुमने फिर भी
मेरी ग्लानि
को अपने उदात्त
स्वभाव से
नगण्य बनाया।
तुमने ही
अथक प्रयासों से
मुझ कंकर को
सच्चे मोती सा
चमकाया।
मेरे प्रिय
शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया।

