श्रृंगार
श्रृंगार
सब ओरीताकिपिय जो निहारयो है|
बीते दिनन का सबै दुख भुलायो है|
आई रैनि पिया से जु मिलन की|
देखि पिय हिया धुकधुकी बढ़ायो है||
साज-श्रृंगार मा चमेली जईसन महक|
देखि पिय अब खुदै ना सम्भारयों है||
रैनि बीचि कासों कहौ समुझत चंदऔ तारे है|
अईसन मा चूड़ी-कंकण,जुल्फन का सम्भारयो है||
अंजलि कहे राधाजू विलोकि मोहन|
आॉचल का अंगुरी मा लाजनि लपटायो है||
