आरती
आरती
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हे श्याम ! तव पूजन में,
पुष्प समर्पित धूप दीप
नैवेद्य समर्पित।
नेह भाव मन वाणी बदली
सर्व मनुज में दर्शन तेरे सब
अवगुण मै करूं समर्पित
त्याग तपस्या ज्ञान गुणों
अर सद्भावों की माल्य समर्पित
पीतांबर अरू बंसी सोहे
कंगन तिलक भाल पर सोहे
मोर मुकुट सिर राजत।
उर में वैजयंती माल विराजत
तन मन धन मै करूं अर्पण
पूजन विधि से सर्व समर्पित।
बिन आरति शंख नाद के
केशव मगन न होत है
आरति करी "अंजलि" तुम्हें रिझाऊं
जीवन भी मै करूँ समर्पित।
