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Neetu singh Anjali

Drama

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Neetu singh Anjali

Drama

गीतिका

गीतिका

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ख्वाब अपने हक़ीक़त बनाने लगे।

आईना देख नयन शरमाने लगे।


दिल बेचैन चाहत तुम्हारी लिए

लफ्ज होठों पे आ थरथराने लगे।


बला दिलकश अदाएँ करती कतल

वो नशेमन पे बिजली गिराने लगे।


रातें लम्बी हुई दिन बेचैनियाँ

ग़म जुदाई का हमसे छिपाने लगे।


मौसम पतझड़ का पत्ते पीले हुए

नये कलेवर में यारा जमाने लगे।


बेवफा शहर दर्द मीरा समझे नहीं

क्षण प्रणयन तन्हां तड़पाने लगे।


ये राधा तुम्हारी माधव भावाञ्जलि भरे

तुम हमें दर्द का सच ठिकाने लगे।।


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