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Sneha Dhanodkar

Romance Classics Fantasy

4  

Sneha Dhanodkar

Romance Classics Fantasy

श्रृंगार

श्रृंगार

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बिछिया सी बिछ जाती हो

सबका जीवन महकाती हो

बन कर पैरों को पायल

तुम करती सबको घायल,


पहन निकलती ज़ब करधनी

ठगे रह जाते सारे धनी

अंगूठी सी बांध लेती हो

दुनिया अपनी उंगलियों पर


मेहंदी सी सजा लेती हो

खुशियाँ अपनी हथेलियों पर

ज़ब खनकते तुम्हारे कंगन

हो जाता हर कोई मगन

पहनती हो ज़ब बाजु बंध


रह जाते देखने वाले दंग

ज़ब सजता गले मे हार

हो जाता सबकुछ बेकार

कानो मे ज़ब जचता झुमका

लगता कमर मे ठुमका


ज़ब तुम माथे पर बिंदी लगाती

कायनात को चेहरे पर सजाती

होंठो पर ज़ब लग जाती लाली

हर शब्द गाता फिर कव्वाली


माथे पर लगता ज़ब टीका 

कोई ना रहता आगे टिका

ये पायल कंगन बिंदी हार

तुमसे ही हैं सारा श्रृंगार

तुम्हारे बिना सब सूना

हो जायेगा खाली ये संसार।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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