प्रेम
प्रेम
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राधा ने कहा श्याम से
क्यूँ आप ना मेरे हुए
मनमोहक श्याम मुस्काये
और प्यार से गले लगे
फिर हौले से कान में बोले
मैं तुम कहाँ अलग प्रिये
आज भी मेरा नाम है
बस तुम्हारे नाम के साथ
चाहें कहीं भी तुम रहो
रहोगी सदा श्याम के साथ
मोहताज प्रेम पाने का
वो छलावा है अपनाने का
मैं तुमसे नहीं हूँ अलग
दिखावा है बस जमाने का
ना धरो अब ऐसा तुम
कोई भी विचित्र भ्रम
मैं तुम नहीं अलग प्रिये
दोनों एक कहलाते है हम।