श्रृंगार
श्रृंगार
सादगी मेरी
जीवन का श्रृंगार
सजना चाहूँ।
मधुर वाणी
माँ सरस्वती वास
जिव्हा श्रृंगार।
सात्विक भाव
प्रभु भक्ति की आस
सुंदर मन ।
योग साधक
स्वस्थ सुदृढ़ तन
तन श्रृंगार।
फलदायक
परहित सेवा हो
कर्म श्रृंगार।
माँ मातृभूमि
देश के काम आना
जीवन ध्येय।
मिलने वाला
कहे "धन्य हुआ मैं"
स्वप्न साकार।
स्मरण करें
मरणोपरांत तो
सब श्रृंगार।