श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि
जश्न-ए-आजादी कुछ यूँ मना,
के हर दिल को तिरंगे की जमीं बना।
कण-कण गाए एकता का मीष्टी गान
ना रहे रूदन ना हो कही जूठन की आस।
परिष्कृत विपन्नता से हर द्वार बना,
बलिदानियों के सपनों का हिंदुस्तान बना।
यही होगी उनको श्रद्धांजलि
यही होगी सच्ची वफा।
आजादी के अग्नि कुंड में जो हुए स्वाहा
चंद सिक्कों का ना हो बचपन मोहताज,
बेटियाँ भी पाएँ जीवन का वरदान।
भ्रष्टाचार का अब वजूद मिटा,
इंसानियत का सोया जमीर जगा।
होगी उनको श्रद्धांजलि यही होगी सच्ची वफा,
आजादी के अग्नि कुंड में जो हुए स्वाहा।
जश्न -ए-आजादी कुछ यूँ मना,
के हर दिल को तिरंगे की जमीं बनाा।