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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

4  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

शराबी

शराबी

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शराबी को शराब दिखती है

उसे बर्बादी नही दिखती है


उसका एक ही मकसद है,

शराब पीना मस्त रहना है,


गाली भी उसे फूल लगती है

शराबी को शराब दिखती है


ज़माने से क्या लेना-देना,

उसे बस शराब पीते रहना,


उसे बस मयशाला दिखती है,

मय पीना ही उसकी जिंदगी है


शराब के आगे,एक शराबी के 

रिश्तों की क्या होगी गिनती है


घर बिके,या उसके बच्चे रोये,

शराब मे ही खुशी मिलती है


उसे गम की दवा दिखती है

शराबी को शराब दिखती है


एक टूटे आईने की परछाई 

उसको कुछ नही दिखती है


खुद तो गिरता है, नाली में,

घर को गिराता, तंगहाली में


कितना बुरा उसे शौक है,

बना देता खुद को जोंक है


हे शराबी, शराब छोड़ दे,

अपने जीवन को मोड़ ले,


इस शराब के नशे के कारण

रूह तेरी जानवर दिखती है 


शराबी को शराब दिखती है

उसे बर्बादी नहीं दिखती है।


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