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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Fantasy Inspirational

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Fantasy Inspirational

शराब शय बुरी है

शराब शय बुरी है

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दायरों में बंध कर कौन जी सका 

है रिन्दों में डाल कर सबने पी यहाँ है 

मुझको तो पूरी की पूरी चाहिए बोतल 

ढक्कन लगा के देना 

ताऊ लूँगा तब मजा मैं

कोई कहता है शराब शय है बुरी 

कोई कहता है उसने नहीं पी कभी 

स्वाद लग गई जिस दिन होंठ से 

अंगूर की बेटी है रस की भरी 


पीकर शराब बोतल गली में डाल देते हो 

कैसे बद्तमीज पियक्क्ड़ हो 

इल्जाम सबको देते हो 

मैंने तो सब की सब 

कबाड़ी को बेच दी 

पर्यावरण को बचाया 

साथ दुर्घटना भी रोक दी  

दायरों में बंध कर जी सका कौन है 

रिन्दों में डाल कर सबने पी यहाँ है


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