मुरझाए मधुबन में मधुमास
मुरझाए मधुबन में मधुमास
सूखे तृण झड़ने लगे अब खरमास के दिन आ गए।
मुरझाए मधुबन में फिर मधुमास के दिन आ गए ।।
सूनी अमराई अब कोयल की कूक से गुलज़ार हुई।
मलीन से इस उपवन में परिहास के दिन आ गए।।
पीतांबरा हुई वसुंधरा सरसों के फूल सर्वत्र छा गए।
बासंती ऋतू में सेमल टेसू पलाश के दिन आ गए ।।
प्रिया के आतुर हृदय की विकलता कुछ बढ़ गई।
अतृप्त अधरों के मिलन की प्यास के दिन आ गए।।
अनंत प्रीत परिमल से हुई सुरभित हुए धरा गगन।
इन मधु मकरंदों पर हास उल्लास के दिन आ गए।।
सोख शबनम के अधर पर हास के दिन आ गए।।
बेलौस से जीवन में फिर मधुमास के दिन आ गए ।।
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