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V. Aaradhyaa

Romance Fantasy

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V. Aaradhyaa

Romance Fantasy

मुरझाए मधुबन में मधुमास

मुरझाए मधुबन में मधुमास

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सूखे तृण झड़ने लगे अब खरमास के दिन आ गए।

मुरझाए मधुबन में फिर मधुमास के दिन आ गए ।।


सूनी अमराई अब कोयल की कूक से गुलज़ार हुई।

मलीन से इस उपवन में परिहास के दिन आ गए।।


 पीतांबरा हुई वसुंधरा सरसों के फूल सर्वत्र छा गए।

 बासंती ऋतू में सेमल टेसू पलाश के दिन आ गए ।।


प्रिया के आतुर हृदय की विकलता कुछ बढ़ गई।

अतृप्त अधरों के मिलन की प्यास के दिन आ गए।।


अनंत प्रीत परिमल से हुई सुरभित हुए धरा गगन।

इन मधु मकरंदों पर हास उल्लास के दिन आ गए।।

 

सोख शबनम के अधर पर हास के दिन आ गए।।

बेलौस से जीवन में फिर मधुमास के दिन आ गए ।।


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