पहली नज़र का प्यार
पहली नज़र का प्यार
देखा मैने उसे सामने सुनसान रास्ते से आते हुए ,
नजरे मेरी ठहर सी गई उसे देख एक पल के लिए ।
आंखो में थी अलग ही चमक उसकी
देख दिल की धड़कन बढ़ सी गई,
जब देखा उसने मुझे तो कदम मेरी वही रुक ही गई ।
खामोश थी जबान पर अंदर कुछ हलचल सी थी,
दोनों एक दूसरे को देखते रहे और समय वही ठहर सी गई ।
उसकी चंचल आंखें मानो मेरा नाम पूछ रही,
उसके होंठों की मुस्कान मेरी बेचैनी को दूर कर रही ।
बढ़ाया कदम उसने ज्यों ओर मेरी,
दिल की धड़कन तेज
होने लगी ।
आकर मेरे सामने उसने
जब उठाया गुलाब का फूल,
मैं सोची खड़े रह कर यहां हो गई बड़ी भूल ।
देकर फूल उसने जो मुस्कुराया,
फूल मुझसे ही गिरा यह तभी याद आया ।
देख उसे मैं भूल गई थी कि अभी तो
मैने तोड़ा ही था इसे उस डाल से ।
देखा मैंने जब उसे पलट कर
चल दिया वो अपनी मंजिल की ओर तब तक ।
न जाने किस्मत ने मिलाया हमे क्या सोच कर !
मेरे मन में उठने लगी थी उसके लिए प्रेम रुक- रुक कर ।