रहा ना जो तुम्हारा हाथ हाथों में
रहा ना जो तुम्हारा हाथ हाथों में
रहा ना जो तुम्हारा हाथ हाथों में
सताती है तुम्हारी याद रातों में
कटे ना एक भी लम्हा तन्हाई का
कभी गुजरी दीवानी रात बातों में
हसीनों की कमी ना है जमाने में..
लगे अच्छा तुम्हारा साथ लाखों में
मिलें तो आज भी वादे मुताबिक है
रही ना प्यार वाली बात वादों में
सजा ए इश्क भी मंजूर थी साकी
नशा थोड़ा मिलाते जो सलाखों में
दीदार ए यार ना कोई मुलाकातें...
लगें होने जवां जज़्बात ख्वाबों में
नमी जो देखते तुम हो, नहीं आंसू
पिघलती हैं तुम्हारी याद आंखों में।

