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Archana kochar Sugandha

Tragedy

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Archana kochar Sugandha

Tragedy

शोर

शोर

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इस शहर का हृदय विदारक शोर मुझे सोने नहीं देता 

एकांत में बैठ कर चैन से रोने भी नहीं देता।


खून भरी आँधियों के खंजरों से शोक संतप्त जिंदगी

शब के अंधेरे में अश्रुओं से तकियों को भिगोने भी नहीं देता।


दामन पर चढ़ती नापाक इरादों के गर्त की परतें

कामी तृष्णा का पिपासा धोने भी नहीं देता।


रहबरों के चंट नुमाइंदों की मदहोशी में डूबा यह शहर

मयखाने में सुरा के नशे में धुत्त होने भी नहीं देता।


शान से सजती महफिल-ए-हसीन रंगीन नगमे-ए-शाम 

पीकर हलाहल का घूँट चैन से सोने भी नहीं देता। 


नागफनी के पुष्पों ने इतना ले लिया है विस्तार

सुगंधित सदाबहार पुष्प इस शहर में कोई बोने नहीं देता।



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