शिमगा
शिमगा
मास फागुन आयेव
शिमगाको मोठो जोर।
खेलो तुम्ही रंग पर
नोको मचावोना शोर।।१।।
लाल गुलाबी हिवरो
कारो ना पिवरो रंग।
तुमी लगाओ सबला
नोको बिघडावो ढंग।।२।।
धावसेत टुरु पोटू
पिचकारी धरस्यार।
फेकसेत सब पर
रंग वय भरस्यार।।३।।
शिमगामा देखो तुमी
होय जासे असो हाल।
हर गाल पर लग
रंग बिरंगी गुलाल।।४।।
आओ सब मिलकर
जमावोना असो ढंग।
छल त्याग शत्रुला भी
लगावोना प्रेम रंग।।५।।
नाचकर गावो फाग
सब बजावोना ताळी।
रंग को बौछार संग
देखो आय गयी होळी।।६।।
माय बनाव करंजी
मस्त वा पुरणपोळी।
शिमगामा लकडाकी
जरावती सब होळी।।७।।
