STORYMIRROR

Govardhan Bisen 'Gokul'

Abstract

3  

Govardhan Bisen 'Gokul'

Abstract

मयरी

मयरी

1 min
139

रीती रिवाज आयीसे

दसराकी मालवालं।

सुरू ठेया पुरखा की

आमी मयरीकी चालं ।।१।।


मही संग चाऊरला

नवो हांडीमा शिजावो।

टाको मसाला वोकोमा

मस्त मयरी बनावो ।।२।।


गड कालीका मायको

नाव मनमा सुमर।

ठेवो मयरीकी हांडी 

सांज चवरी जवर ।।३।।


बांधो शमीको बाकलं

केरापान हांडीपर।

पाच कोचईकी बड़ी

मंग ठेवो वोकोपर ।।४।।


कुकू हर्दी चंदनकी

पाच टिकली लगावो।

पाय लगके देव का

भोग मयरी चढ़ावो ।।५।।


करो मयरी हांडीको

घरं सप्पाई पूजन ।

नोको बाहेर कोनीला

करो घरमा जेवन ।।६।।


आय मयरी आमरो

पोवारकी पयचान ।

संग कोचईकी बड़ी

दसरामा येको मान ।।७।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract