शिक्षक
शिक्षक
अमिट ज्ञान का स्रोत है,
देता है हर जन को ज्ञान,
इसलिये ईश्वर से पहले,
होती जगत में पहचान।।
नहीं जग में उससा और,
ठुकराओगे मिले ना ठौर,
शिक्षा देता शाम व भोर,
शिष्य होता बड़ा विभोर।।
ज्ञान का दीपक जब चले,
मिट जाता जगत अंधकार,
उजाला बिखरता चहुं ओर,
बढ़ता जाये जन जन प्यार।
शिक्षक ऐसा दीपक होता,
तम को पल में मिटा देता,
शिष्य रूपी ही बटोही का,
अंधकार सारा ही हर लेता।
ज्ञान का दीपक कह रहा,
अनपढ़ता होती अभिशाप,
शिक्षा रूपी वो मूलमंत्र है,
कर लो बस उसका जाप।
ज्ञान का दीपक पार करे,
नैया जब खाये हिचकोले,
अपनी अनपढ़ता के पाप,
पवित्र नाम गंगा में धो ले।
नहीं जरूरत है पुरस्कार,
बस करते रहना है काम,
शिष्य को यूं आगे बढ़ाना,
करो काम बस निष्काम।।
नमन उन्हें जो जग को दे,
सच्चा अनमिट सारा ज्ञान,
आगे बढ़ता जाएगा जगत,
जब मिट जाए जन अज्ञान।।
अगले जन्म में भी मिले,
कामना भरी है मेरे दिल,
समस्त सृष्टि त्याग दूंगा,
वरना आशा रहे धूमिल।