शहीदों के पथ पर दीप जलाते हैं
शहीदों के पथ पर दीप जलाते हैं
कुछ अश्रु है,
कुछ यादें हैं,
कुछ गर्व है,
कुछ भूल बिसरी रातें हैं।
पुष्प अर्पण करती चरणों में,
एक शहीद की हमसफर भी,
दिलों में देशभक्ति का दीप जलाए,
कुछ गमगीन है वह आज भी।
दीपों से जहाँ सजाने वाला,
चला गया अमरता के पथ पर,
खुशियाँ सबको देने वाला,
छोड़ गया यूं सुनसान पथ पर।
वह अकेली ही चल रही है,
संतानों में आदर्श भर रही है,
पर वह त्याग की देवी,
पल पल कुछ गल रही है।
क्या हम सोच रहे है,
उन अमर शहीदों को,
देह जो बलिदान कर, चले गए
हमारा आज संवारने को।
चलो आज उस पथ पर भी
दीप कुछ जलाते है,
कदम जहां अमर जवानों के पड़े,
कुछ पुष्प आज बिछाते हैं,
इस महक से आज सुख
उनको पहुँचाते हैं,
जो त्याग अपना जीवन कर गए,
सुख उनके परिवारों में लाते हैं।
आज खुद ही दीपक बन,
नए आदर्शों की लौ जलाते है,
कुछ ऐसी दीवाली मनाते हैं,
हर मुख पर मुस्कान सजाते है।
कर्तव्यों के गीत गाते हैं,
बस वसुधा में खुशियाँ ही खुशियाँ लाते हैं।।