शहादत
शहादत
आंखों में आंसू है भले, पीड़ा से धीरज टूटा,
पर बेटे की शहादत ने, किया गर्व से सर ऊंचा।
याद बहुत रहा है बचपन, लड़खड़ा के उसका चलना
मात-पिता की उंगली पकड़, एक एक फिर डग भरना
कोख में जिसको पाला था, हर कदम पे दिया सहारा था
आज उसी की हिम्मत ने देश से संकट टाला था।
आंखों में आंसू है भले, पीड़ा से धीरज टूटा
पर बेटे की शहादत ने, किया गर्व से सर ऊंचा।
सरहद पे कुछ भी खा लेता था,
पर मां को नखरे दिखाता था।
पकवान पसंद ना आने पर, वो नाराज़ हो जाता था;
एक एक निवाला जिसने,
हाथ से अपने खिलाया था आज उसी
मां ने बेटे के,मुंह में गंगाजल डाला था
आंखों में है आंसू है भले, पीड़ा से धीरज टूटा
पर बेटे की शहादत ने, किया गर्व से सर ऊंचा।
सोचा था बड़े होकर, बहू को ब्याह के लाएगा
बच्चों की किलकारी से,पूरा घर खिल जाएगा;
आज वीर बेटे ने पर, देश को दुल्हन बनाया था
सेहरा शहादत का पहना, लहू से मांग भर आया थाI
आंखों में आंसू है भले, पीड़ा से धीरज टूटा
पर बेटे की शहादत ने, किया गर्व से सर ऊंचा।
अपने बाप की लाठी था जो, आज देश की ढाल बना
मां का लाडला पुत्र था जो, सारे देश की शान बना।
कर्ज वीर बलिदानी वीरों का, देश चुका नहीं पाएगा
उनकी शहादत की गाथा, भारत युग युग तक गाएगा
आंखों में आंसू हैं भले, पीड़ा से धीरज टूटा
पर बेटे की शहादत ने, किया गर्व से सर ऊंचा।