शब्दों की दास्तां
शब्दों की दास्तां
इस दुनिया के शब्दों में एक अलग ही एहसास है,
सिर्फ समझने का फर्क है, कि किस तरह छिपी इन शब्दों में कुछ अनकही बात है,
द से दुख है तो द से दुआ है,
द से दर्द है तो द से दवाई है,
जो द से दिल है तो द से दीवानगी है,
जब से इन शब्दों को जाना तो पता चला की हर शब्द की एक कहानी है,
जो धड़क रहा है दिल तो दीवानगी नज़र आई है,
जो चोट लगी दिल पे तो कहने लगे की इश्क़ हर चोट की दवाई है,
जो दुख हुआ मुझे तो, सर झुका के की दुवा हर मंज़र में रंग लाइ है,
म से मोहबत है
तो म से मुक्मल है,
म से मगरूर है तो म से मेहफूज़ है,
जो म से मर भी गए तो म से मंज़ूर है,
बदल रही जिंदगी में तू मोहब्बत बनकर आई है, मुक्मल हुई मोहब्बत,
मेरी हर दुआ रंग लाइ है, जो मगरूर हुआ तुझमे तो मेहफूज़ मेरी परछाई है,
म से मर भी गए तो खुदा से कैसी रुसवाई है,
ह से हुस्न है तो ह से हम भी है,
ह से हसीन है तो ह से हसरत भी है
शब्दों का भी कुछ अलग ही अंदाज़ है खुदको महसूस करवाने का
मगर हम भी शब्दो से अनजान बनने की कोशिश करते हैं !