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Laxmi Tyagi

Romance Tragedy Others

4  

Laxmi Tyagi

Romance Tragedy Others

शब्दों के रंग

शब्दों के रंग

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भावनाओं से जुड़े पत्र ,खुशी का एहसास दे जाते थे।


पहले -पहले'' प्रेम पत्र ''मन में गुदगुदी कर जाते थे। 


कुछ पत्र महबूबा के ,जो दिल की धड़कन बढ़ाते थे। 


पत्रों को हम अकेले में पढ़ कभी मुस्कुराते और गुनगुनाते थे। 


 प्रेम की इंतहा तो देखिए, कुछ शब्द आंखें नम कर जाते थे।


तुझे याद कर, चेहरे पर मुस्कान है, आंखें नम हो जाती हैं।


तेरी तस्वीर दिल में उतार तेरे शब्दों को पढ़ मुस्कुराती हूँ।  


दूरी तनिक भी सही न जाए, तुम मौन मेरा ,नहीं पढ़ पाते थे। 


 रिश्तों से जुड़े पत्र ,घर में प्रसन्नता का कारण बन जाते थे। 


पत्र सुनने की खातिर, सभी सदस्य एकजुट हो बैठ जाते थे। 


शब्दों द्वारा ही ,उस पत्र में अपने प्रियजन से मिल आते थे। 


 पत्र कुछ ऐसे ,जो दुख भरी दास्ताँ सुनाते थे। 


 भावों के साथ-साथ ही अपनों को रुलाते थे। 


इंतजारी और बेकरारी में ,दिन महीने साल बीत जाते थे। 


दूर रहकर भी, नजदीकी का एहसास कर भावुक हो जाते थे।


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