आज फिर से वही दिन...
आज फिर से वही दिन...
आज फिर से वही दिन आया है।
गगन में ,तिरंगा लहराया है।
इस दिन ''हमारा संविधान'' लागू हुआ था।
इस तरह भारत अंग्रेजों से आज़ाद हुआ था।
दिन बदले ,वर्ष बदले,
देखते ही देखते न जाने,
कब ? पचहत्तरवें वर्ष ने तेवर बदले।
शासन बदला ,सत्ता बदली ,
लोग बदले, विचार बदले।
फिर से आज वही दिन आया है।
अपनी याद दिलाने ,
इस स्व का अहसास कराने।
लो, गणतंत्र दिवस !आया है।
आस्था, विरासत और विकास लाया है।
कर्तव्य पथ पर धर्म का ध्वज लहराया है।
राष्ट्रभक्ति का चहूँ ओर शोर है।
अबकि बार रामभक्ति का भी बहुत जोर है।