रंग डालो
रंग डालो
उसके रक्तिम कपोल! शर्म से इस क़दर रक्ताभ हुए।
कैसे लगाऊं?रंग उस गोरी को........
सौंदर्य से उसके ,सभी वर्ण फीके हुए ।
होली कैसे खेलूं ? सखी री !
रंग पुष्पों सा, रूप देख उसका पुष्प भी लज्जित हुए।
महक चंदन सी ,तन कंचन उसका,
पीत वसन में गौर तन, कैसे मलूँ गुलाल ?
लाल -पीली हो रही वो.......... !
किस विध अपने रंग रंगू , पूछे नन्दलाल !
स्नेह वर्ण संग रंग डालो ! इसके वर्ण हजार ,
भांग पी , ले...... ' शिव शंभू' का नाम,
अंग -अंग को रंग डालो !हस्त ले, स्नेह गुलाल !
सर्वत्र प्रेम ही प्रेम बरसे ऐसी हो, प्रेम की बरसात !
बरसाने की गोपियाँ स्मरण करें,होली की हर रात !
प्रकृति की छटा देखो ! उसके ही अपने रंग,
धानी चुनर को भी रंग डाला,कान्हा ने अपने प्रेम संग।
राधा संग नाचती -गाती गोपियाँ रंग गयीं ,कान्हा के रंग !
प्रफुल्लित हर माधव हो, प्रसन्नचित्त हो ,हर मन !
फागुन का ऐसा उड़ा ग़ुलाल !
कलुषित मन भी रंग गए ,करे कोई कैसे विचार ?
रंग डालो !हर तन को ,धूमधाम से मनाओ !यह त्यौहार !