शब्दों के मोती - ज़रा ठहर
शब्दों के मोती - ज़रा ठहर
उम्र के इस पड़ाव पर
गम के सागर में डुबकर
आंखों की रोशनी छिनकर
कमजोर हाथ में कलम पकड़कर।
हे, उदास मन
क्या लिख पाओगे अब?
हे हवा, तु ज़रा ठहर
फूलों के महक के साथ
उडाले मेरे कविता के शब्द
पहुंचा दे मेरे श्रोताओं के पास
मैं अब भगवान के पास जाने के कतार पर।
