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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Tragedy

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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Tragedy

✍🏻बंद करो ये मृत्युभोज ✍🏻

✍🏻बंद करो ये मृत्युभोज ✍🏻

2 mins
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यदि आप सभ्य समाज के सभ्य इंसान हो,

एक बार गौर कीजिए आप सभी महान हो,

खाते हो जो मृत्युभोज उसके घर पर तुम सब,

कैसे मरा-क्या हालात में मरा पीछे क्या छोड़ गया वो ?

थाली पर जीमने बैठने से पहले 

उसके घर की माली हालत पर भी,

क्या वो इकलौता बेटा था ?

क्या वो बूढ़े माँ-बाप का सहारा था ?

क्या बेरोजगार ग्रहणी विधवा का मात्र सहारा था ?

क्या उसके छोटे-छोटे बच्चों का इकलौता आसरा था ?

गम्भीर बीमारी से ग्रसित घर पर कर्जा छोड़ मरा था ?

कौन संभालेगा उसका घर-परिवार ?

आज जो उसकी मौत उपरांत जीमने आये हो,

क्या कभी उसकी मुसीबत में हाल जानने कोई आया था ?

पर वो बेचारी भी क्या करती ?

रोती-बिलखती रख सीने पर पत्थर,

समाज के नरभक्षियों को खिलाना थी मजबूरी,

नहीं तो समाज के वो दानव ?

उसके छोटे बच्चों को ताने मार-मार कर मार देते,

देखिए उस मासूम की हालत,

माँ के हाथों मेहनत से तैयार की अपनी फसल को,

वो बेचकर तुम्हारे एक वक्त के भोजन का सूद चुकायेगी,

उस मासूम के पढ़ना-लिखना तो दूर,

माँ के साथ धूप में कड़ी मेहनत करें,

फ़टे तन कपड़े ढके पसीने से हाल बेहाल,

दिन-रात वो मेहनत करता हर पल-पल,

आपके एक वक्त के भोजन के निवाले का करेगा हिसाब,

आपके एक वक्त के भोजन के कारण उसको जिंदगी भर भूखा रख देगा अब,

आप सभ्य समाज के पढ़े-लिखे लोग अपने आप मानते होंगे

पर मैं आपको.........! 

एक नरभक्षी दानव से भी बदत्तर प्राणी मानूंगा,

क्योंकि.........?

नरभक्षी दानव तो एक झटके मार देता है,

लेकिन सभ्य समाज के नरभक्षी दानवों तुम तो,

मरने वाले के पीछे छूटे परिवार को पल पल मरने को छोड़ आते हो ,

बंद करो ये समाज में व्याप्त कुरीतियों को,

किसी के दुःख में दुःख का कारण न बनो,

उस पीड़ित की दुःख से उभरने का एक उदाहरण बनो !!


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