शायद
शायद
थोड़ा तू मुझमें हैं कहीं, थोड़ी मैं तुझमें हूं कहीं,
अगर हम दोनों साथ होते तो, शायद पूरे होते हम आज।
थोड़ा ग़म में तू हैं कहीं, थोड़ी गम में हूं मैं भी कहीं,
अगर हम दोनों साथ होते तो, शायद खुलकर हंसते हम आज।
थोड़ा खफा तू मुझसे है कहीं, थोड़ी खफा मैं तुझसे हूं कहीं,
अगर हम दोनों साथ होते तो, शायद मिलकर मना पाते खुद को हम आज।
थोड़ी मजबूरियां तेरी है कहीं, थोड़ी मजबूरियां मेरी है कहीं,
अगर हम दोनों साथ होते तो, शायद निभा पाते ये जिम्मेदारी हम आज।
थोड़ा तू है मेरे किस्सों में कहीं, थोड़ी मैं हूं तेरे किस्सों में कहीं,
अगर हम दोनों साथ होते तो, शायद एक पूरी कहानी बन पाते हम आज।
थोड़ा याद है तू मुझे आज भी कहीं, थोड़ी याद हूं मैं तुझे आज भी कहीं,
अगर हम दोनों साथ होते तो, शायद यूं भूला ना पाते खुद को हम आज।
पूरा है तू किसी ओर के हिस्से में अब कहीं, पूरी हूँ मैं किसी ओर के हिस्से में अब कहीं,
अगर हम दोनों साथ में याद रखें उस वादे को तो, शायद निभा लेंगे खुशी से हर फर्ज को हम आज।
पूरा निभा तू अपने नये बंधन को अब कहीं, पूरा निभाऊंगी मैं अपने नये बंधन को अब कहीं,
अगर हम दोनों साथ में भूल पाये खुद को तो, शायद पूरा कर पायेंगे पूरे दिल से किसी की उम्मीदों को हम आज।
तू मिले मुझे किसी मोड़ पर कहीं, मैं मिलूं तुझे किसी मोड़ पर कहीं,
अगर हम दोनों साथ में बैठे तो, शायद बुढ़ापे में आंखों से मुस्कुरा कर बयां कर पायेंगे हम अपने हर राज।
पर रहेगा तू हमेशा यूं मुझमें कहीं, रहूंगी हमेशा मैं तुझमें कहीं,
अगर अगले जन्म में हम दोनों साथ हो तो, शायद पूरे कर पायेंगे इस जन्म के वादे उस जन्म में कहीं।
थोड़ा अधूरा तू है आज भी कहीं, थोड़ी अधूरी मैं हूं आज भी कहीं,
अगर हम दोनों का प्यार साथ हो तो, शायद पूरे हो जाएंगे हम हर जन्म में कहीं ना कहीं।