शायद स्क्रू थे ढीले
शायद स्क्रू थे ढीले
क्यों हम मिले?
क्यों जुदा हुए?
फिर मिले... तो क्यों मिले?
न शिकवे न गिले
होंठ भी सिले
हम जब मिले
क्या कहें इसे
क्यों हम मिले ?
न दिल मिले न दिल जले
इसे क्या कहें क्यों हम मिले?
न रास्ते मिले न फूल खिले
दोनों ही थे हम दिल के जले
न कुछ हुआ न ज़मीर हिले
यह यूँ हुआ
कुछ न हुआ
हुआ तो क्यों हुआ
पता नहीं क्यों हम मिले ?
शायद स्क्रू थे ढीले
