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Ramesh Mendiratta

Abstract Comedy Others

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Ramesh Mendiratta

Abstract Comedy Others

शायद स्क्रू थे ढीले

शायद स्क्रू थे ढीले

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क्यों हम मिले? 

  क्यों जुदा हुए? 

फिर मिले... तो क्यों मिले? 

न शिकवे न गिले

   होंठ भी सिले

   हम जब मिले

क्या कहें इसे

  क्यों हम मिले ? 

न दिल मिले न दिल जले

इसे क्या कहें क्यों हम मिले? 

न रास्ते मिले न फूल खिले

दोनों ही थे हम दिल के जले

न कुछ हुआ न ज़मीर हिले

यह यूँ हुआ 

कुछ न हुआ 

हुआ तो क्यों हुआ

पता नहीं क्यों हम मिले ? 

शायद स्क्रू थे ढीले


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