सहारा हैं गजल
सहारा हैं गजल
बताओ मुझे ग़जल कहकर अभी किसने पुकारा है
मेरी भी मखमली आवाज को दिल में उतारा हैं।
ऐसा एहसास ही नजदीकियां अपनी बढ़ाता है
जहाँ में ना कोई लगता तेरे सिवा हमारा हैं।
मेरे ख्यालों में आकर रात - दिन अब साथ रहते हों
मेरे बनकर उतरे हो रूह में मन करता गवारा है।
महक ही गई क़लम अब खुशबू बनकर जो आए थे
भुला ना पाऊँगी पल साथ मिलकर जो गुजारा हैं।
बयां करते नहीं अल्फाज़ जो इंतज़ार के पल थे
मैं लिखती हूँ मिटा कर वक्त करता जो इशारा हैं।
बहाने से छुअन, अनछुई लिख दी कुछ लफ्जों में
खफ़ा मुझसे न रहना मन मेरा तू ही सहारा हैं।
हवाओं को भी शक था ज़िन्दगी छूकर ही निकलेगी
वफ़ा "नीतू" की देखकर हौसला तो तेरा भी हारा हैं।