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chandraprabha kumar

Inspirational

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chandraprabha kumar

Inspirational

शांति की अनुभूति

शांति की अनुभूति

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आकाश हर वस्तु की विश्राम स्थली है पर

वह न किसी वस्तु से मिलता है न फँसता है,

सूर्य उन नाना जलाशयों के पारदर्शी जल में 

लिप्त नहीं होता जिनमें वह प्रतिबिंबित होता है।


सर्वत्र बहने वाली वायु प्रभावित नहीं होती

उन असंख्य सुगंधियों और वातावरण से,

जिनसे होकर वह प्रतिक्षण गुजरती रहती है

इसी तरह आत्मा पूर्णतया विरक्त रहती है।


आकाश सूर्य और वायु की तरह निरासक्त

प्रबुद्ध व्यक्ति के संशय छिन्न-भिन्न हो जाते हैं,

स्वरूपसिद्ध व्यक्ति भगवान की सृष्टि में

रहते हुए कर्म करते हुए भी उससे नहीं बंधता। 


भगवान कृपा पर पूर्णतः आश्रित व्यक्ति को

जगत में रहते हुए भी कष्ट या चिंता नहीं होती ,

भौतिक पदार्थों के अनुभव से चिंता में वृद्धि होती 

जबकि परमात्मा की अनुभूति से शांति लाभ होता।


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