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chandraprabha kumar

Others

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chandraprabha kumar

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दूर्वा दल मोती बने

दूर्वा दल मोती बने

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 चमत्कार ओस बिन्दुओं का

बालारुण की रश्मियाँ में,

दूर्वा दल चमक उठे

हीरे मोती बन

अपनी उपस्थिति दर्ज कराने 

अपने आकर्षण से बॉंधने ॥


प्रखर आतप फैला

शीत से हुआ छुटकारा,

इतनी उष्णता धूप में 

पूरा तन मन तप गया

शिशिर की विदाई हुई

वसन्त का आगमन हुआ।


माघ मास की

मौनी अपावस्या

मौन रहने का मर्म समझाये

मन पर नियंत्रण हो

 वाणी मधुर हो 

सबका सम्मान हो।


 वसन्त के फूल खिले 

सब ओर रमणीयता फैली

पुष्पों की सुगन्ध फैली

चिड़ियों का कलरव हुआ

अनवरत चहचहाहट 

प्रकृति मुखरित हुई ॥


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