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chandraprabha kumar

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chandraprabha kumar

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विविध हाइकु कविता

विविध हाइकु कविता

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१.

 आया वसन्त

खिली आम्र मंजरी

 फैली सुगन्ध॥

२.

  कोयल कूके

कुहू कुहू के बोल

 मन लुभाये ॥

 ३.

  सौरभ भरी

 बहती मन्द मन्द

  मृदु बयार ॥

 ४.

   संगम स्नान

अद्भुत कुम्भ मेला

 आस्था गहन॥

५.

  पहाड़ पर

घरों का जमघट

पेड़ों के बीच ॥

 ६.

   कोहरा घना

 पर आगे रोशनी

  रास्ता मिलेगा ॥

७.

  सुदर्शनीय

पीताभ आवरण 

 हाइकु पुस्त॥

             


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