विविध हाइकु कविता
विविध हाइकु कविता

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१.
आया वसन्त
खिली आम्र मंजरी
फैली सुगन्ध॥
२.
कोयल कूके
कुहू कुहू के बोल
मन लुभाये ॥
३.
सौरभ भरी
बहती मन्द मन्द
मृदु बयार ॥
४.
संगम स्नान
अद्भुत कुम्भ मेला
आस्था गहन॥
५.
पहाड़ पर
घरों का जमघट
पेड़ों के बीच ॥
६.
कोहरा घना
पर आगे रोशनी
रास्ता मिलेगा ॥
७.
सुदर्शनीय
पीताभ आवरण
हाइकु पुस्त॥