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chandraprabha kumar

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chandraprabha kumar

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अलसाई दोपहरी ( हाइकु)

अलसाई दोपहरी ( हाइकु)

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१.

  लॉन में दूब 

 नभ में सूर्य खिला

  उल्लास भरा ॥

          

 २. 

  अलस मन

 ना गहमागहमी 

   ना भागदौड़ ॥ 

३.

  अवकाश है

आराम फ़र्मा रहे

  फुर्सत में हैं ॥

४.

   फुदकती सी 

चिड़ियों की चहक

  मन को भाये ॥

५.

  सपने लिये

मन है कहीं दूर

  भागा भागा सा ॥

 ६. 

  मध्याह्न धूप

चम चम चमके

 अलसाई सी ॥

 ७.

 ख़ाली न बैठो 

उठो कुछ काम लो

  फ़र्ज़ निभाओ ॥ 

                 


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