शादियों का खाना
शादियों का खाना
बंद कर दिया है दो दिन से खाना खाना।
क्योंकि भाई दो दिन बाद शादी में है जाना।
कोरोना के बाद यूं ही लोगों ने शादियों में बुलाना छोड़ दिया।
करते हैं डेस्टिनेशन वेडिंग
दूर कहीं जाकर
आपस में रिश्ता जोड़ दिया।
अब जरूरी नहीं है कि घर आकर ही कार्ड देकर बुलाना।
आ जाएंगे जरूर भले ही मोबाइल पर ही कार्ड भिजवाना।
जीजा और फूफा ने भी रूठना मनाना छोड़ दिया।
आना है तो आओ वरना लोगों ने तो मन से बुलाना छोड़ दिया।
शादियों में अब खाना इतना बनवाते हैं।
कितना भी खाना चाहे पर सब चीजें कहां खा पाते हैं?
अब आराम से बैठकर पंगत में लोगों ने खिलाना छोड़ दिया।
खड़े होकर ही खाना है खाना,
अपना खाना खुद ही लाना,
नहीं मिलेगा तुमको खाना जो बूढ़ों ने बच्चों को खाना लाने के लिए छोड़ दिया।
खाने के हैं इतने आइटम,
देखने के हैं इतने आइटम,
भीड़ में घुसकर खाना लाए,
किसी आइटम का जूड़ा गिर गया खाने पर,
शायद वह खा कर चली गई और अपना जूड़ा उसने मेरी प्लेट पर ही छोड़ दिया।
जाने खाने में क्या डाला था
मेरा तो हाजमा ही बिगाड़ दिया
दो दिन पहले था नहीं खाया।
पेट दर्द के कारण दो दिन बाद तक भी नहीं खाया।
