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अंजलि सिफ़र

Drama

5.0  

अंजलि सिफ़र

Drama

सफ़ेद बाल

सफ़ेद बाल

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किसी ने चेताया,

'सफ़ेद बाल '

घबरा कर आईना उठाया

मगर उस में खुद को कहीं न पाया।


वहाँ तो खड़ी थी एक छोटी सी गुड़िया

फ्रिल वाली फ्रॉक पहन,

हाथों में लिए एक खनकती गुल्लक

खरीद सकती थी जिससे शायद वो सारी दुनिया।


जब आईने से झाड़ी पोंछी थोड़ी धूल

तो देखा बस्ता लिए वो जा रही थी स्कूल।

बस्ता नहीं कहिये पूरा संसार

अजीब से कंकड़ -पत्थर, टूटी हुई माला,

अनगिनत कटी तस्वीरें,

एक पराँठा और आम का अचार।


एक और परत हटाई कुछ आस पर

कोई अल्हड नवयौवना लेटी थी

सपनों की घास पर

जिसके लिए आसमाँ था सिर्फ नीला

और धरती सिर्फ हरी

और थी सारी दुनिया सतरंगी सपनों से भरी।


आईने को उल्टाया पलटाया

तो मिली कितने ही और सायों की ख़बर

बस वो 'सफ़ेद बाल' ही नहीं आया कहीं नज़र।


फिर जब यथार्थ के हाथों से हटाया मैंने हर साया

तब मुझे आईने ने मेरे सफ़ेद बाल से मिलवाया ।


पूनम की दूधिया चांदनी की तार सा..

सांझ गगन में घर लौटते पंछियों के हार सा..

दूर तक फैली हिमगिरि की कतार सा..

मेरे व्यक्तित्व पर चांदी का टीका..

जैसे मेरी सारी ज़िन्दगी के सार सा..


मुस्कुरा उठी मैं

और मेरे संग आईना भी..


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