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Premdas Vasu Surekha 'सद्कवि'

Classics Fantasy Inspirational

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Premdas Vasu Surekha 'सद्कवि'

Classics Fantasy Inspirational

सेल्फी जीवन

सेल्फी जीवन

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सेल्फ हुई है जिसकी आँखें उसको कहते बंद

चकाचौंध की इस दुनिया में संस्कार है दण्ड़

सद्कर्मो से जीना अब दुष्पाप हो गया

मरते हुए मैं न जान देना बोझ कम हो गया।।


मरता है तो मरने दे

जाता है तो जाने दे कर्मों की इस चौखट पे....।

भीड़ हुई है इस जगत में बना हुआ है फन्द। 

रेलगाड़ी के डिब्बे में चलती है ये दन्द

प्यास बुझानी है जिसको बन जाओ सेल्फी

रेलों से गिरते हैं जान। ले लो तुम सेल्फी। । 


आया है दुनिया को मजा लाइक करोड़ों पार।   

जान गई उसकी ये दुनिया का प्यार...।

अब बचाना जल्लाद का सा काम हो गया             

रोती हुई सरकार का खूब नाम हो गया।  

क्या कर रहा था उस जगह यह लेखा          

बोल सच सच तूने वहां क्या क्या देखा


बिना सोच के सरकारें जेलों में करती बंद 

आंख खुलेगी कब ये दुनिया का फंद...। ।


अभिनय की इस दुनिया में झूठों की जयकार    

सच लिखता हूं बन्द न होगी ये दुनिया का सार

सोच समझ के आगे लिखता सेल्फी जीवन हार

समुद्र कराने सेल्फी अरे हो गए जीवन पार।  


खुदगर्जी की अब दुनिया ऐसी हो गई

मजे मजे में अपने को ही यारों लुटा गई।


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