"सच्ची मुहब्बत "
"सच्ची मुहब्बत "
समेटता हूँ मैं तेरे हुस्न को
इस कदर इन अल्फाजों में ।
मयखाना समेटना चाहे ज्यों ,
कोई शराबी चंद पैमानों में।।
बस गया है तू इस कदर,
मेरे ख्वाबों में,ख्यालों में ।
मदहोशियाँ बसती हैं ज्यों,
इन शराब के प्यालों में।।
तेरी चाहतें जगमगाएं ज्यों,
इस कदर मेरे दिल के अरमानों में ।
ये चांद ये सितारे जगमगाएँ ज्यों,
इन नीले - नीले आसमानों में ।।
हुए शुमार इस कदर हम,
मुहब्बत के दीवानों में ।
हुए फ़ना तो शामिल होंगे ,
सच्चे इश्क के अफसानों में ।।