सच्चा प्यार
सच्चा प्यार
वह सोचता था कि जीवन के मोड़..
पर कहाँ मिल पाएगा कोई हमसफ़र !
कौन राह तकेगा मेरी ...उम्रभर ..
क्योंकि बचपन से ही वह देख नही पाता था
बस आँखे थी ...पर देखने की शक्ति नहीं थी
फ़िर भी उसने हार नहीं मानी थी ..
वह विशेष विद्यालय में पढ़ा था ब्रेल के सहारे
बचपन मे उसने बड़ी मुश्किलों से दिन गुजारे
क्योंकि वह बचपन से ही अनाथालय में पला था
कई बार लगता था ..जैसे कि जीवन ने उसको छला था
वह तो भला हो ..एक स्वयंसेवी संस्था का जिसने...
उसका प्रवेश विशेष विद्यालय में किया था ...
यहाँ उसकी मुलाक़ात हुई एक प्यारी भली लड़की से
जो देख नहीं पाती थी ...
पर उसकी आवाज़ मीठी सी बहुत सुहाती थी ..
कुछ दिनों बाद एक दिन उसे एक फोन आया कि
स्वयंसेवी संस्था के एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है
और उसने अपनी आँखे दान में दे रखी है
जो खास उसके लिए हैं उपहार ....
वह हो गया अचंभित ...कि मानो हो गया हो कोई चमत्कार
फ़िर कुछ दिनों बाद हुआ ..एक सफल ऑपरेशन
जिसमें उसकी आँखों ने पा लिया दृष्टि का वरदान
वह सचमुच बहुत खुश था ...
वह आसपास सभी रंगों को देख रहा था
तभी उसकी दृष्टि एक लड़की पर गई ..
जो देख नहीं पा रही थी , पर वह बेसब्री से मानो
उसका इंतजार कर रही थी ...मीठी आवाज़ में उसने कहा
क्या तुम देख पा रहे हो ?
हाँ ....चहकते हुए उसने कहा ...
पर ये चमत्कार हुआ कैसे ?
तब उस लड़की ने कहा कि जो सज्जन स्वयंसेवी
संस्था चलाते थे ...
वह अपनी वसीयत तुम्हारे नाम कर गए हैं !
ऐसा पता चला है ...अभी विद्यालय में ,
वही तुम्हें अपनी आंखें दान भी कर गए हैं !
क्योंकि उनका मानना है कि उनके न रहने पर ,
तुम ही बड़ी जिम्मेदारी से संस्था में
अपनी भूमिका निभाओगे !
पर सुनो बड़ी ही मासूमियत से उस लड़की ने कहा,
क्या तुम अब भी ...मेरे संग बतियाओगे।
क्या तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे।
तब वह कहने लगा ," अब तो मेरी जिम्मेदारी और..
बढ़ गई है ...मैं तो तुम्हें अपना हमकदम बनाऊंगा !
और इस संस्था के दृष्टिहीन लोगो की सेवा में आजीवन...…
अपनी भूमिका निभाऊंगा !
यही नहीं ..लोगों को नेत्रदान के लिए ..
प्रोत्साहित करूंगा ...
और संस्था के विशेष विद्यार्थियों एवं व्यक्तियोँ
के लिए सरकार से विशेष आर्थिक सहायता कोष बनवाऊँगा ...
उसकी बातों को सुनकर लड़की की आँखों मे खुशी
के आंसू छलकने लगे !
और लड़की के चेहरे की आँसुओं की धार को
वह पोंछने लगा ..
तब लड़की को लगा कि यही सच्चा प्यार है !

