सच का आइना
सच का आइना
कहां जा रही है, दुनिया
खुद को खुद का होश नही
प्यार भरे रिश्तों का
अब किसीको मोल नही
एक वो युग था जिसमे
माता पिता के वचन के खातिर
श्रीरामजी ने वनवास सहा
आज पैसों की लालच में आकर
बच्चो ने माता पिता को
वृद्धाश्रम जाने को कहा
भूल गए इन्ही दोनो ने
आज तक हमे संभाला है
जन्म से लेकर जवानी तक
इन्होंने ही तो पाला है
भाई ने तलवार चलाई
कहा ये घर मेरा है
दूजे ने बंदूक चलाई
अब तेरा घर भी मेरा है
लूट पाट सब आम हो गई
आज सब कुछ मेरा है
झूट बोलना काम हो गया
सच बोलना झमेला है
सच्चाई की हार हो रही है
झूट का ही बोल बाला है
भगवान के दशर्न से पहले
लोग सेल्फी निकलते है
स्टेटस अपडेट पहले करते हैं
फिर आरती में शामिल होते हैं
भगवान को भी हम लोगो ने
स्पर्धा में उतार दिया
उस के नाम पे भी
बहुत सारा धन कमा लिया
अब ओर न जाने कितने
रंग हम दिखलाएगे
भूल गए हम इंसान हैं
एक दिन मिट्टी में मिल जायेंगे।
