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Kirti “Deep”

Drama

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Kirti “Deep”

Drama

सच और झूठ

सच और झूठ

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सब साथ झूठ के चलते हैं,

एक सच को दिल में छुपाए हुए।

जाने अब कितने वर्ष हुए,

उस सच को तुमको बताए हुए।


एक सच छुपा के रखा है,

एक झूठ बता के रखा है।

जाने मैंने क्यूँ तुमसे यूँ,

एक राज़ दबा के रखा हैं।


तुम समझोगे मेरे सच को?

दिल अब भी यूँ ही डरता है।

हर बार अपनी ख़ुशियों के लिए,

दिल झूठ को आगे करता है।


अब कहती हूँ तुम से आकर,

एक सच मेरा यूँ सुन लो न।

ये झूठ बहुत बेदर्दी है,

फिर से एक सपना बुन लो न।


अब थकती हूँ करते-करते

जीवन कि झूठी फ़रियादें।

अब तेरे दिल में, मेरे दिल में

होंगी बस अब सच की यादें।

होंगी बस अब सच की यादें।।


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