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सभी तुम हो

सभी तुम हो

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मैं हूँ

आवेग

दृष्टि

स्पर्श

संप्रेषण

और तुमसे

 

मैं उगता हूँ

आँगन

कोटर

शिला

पोखर

और तुममें

 

मैं निस्तेज हूँ

कंपनी

ध्वनि

तड़ित

बादल

और तुम्हारे बग़ैर  

 

मैं चाहता हूँ

छुपा रखना

अपनी मुट्ठी में

समय

सुवास

आभा

ईश्वर

और तुमको

 

मैं गूँजता हूँ

शब्द

श्वास

गिरी

अंतरिक्ष

और तुममें

 

मैं पसर रहा हूँ

ख़ामोशी

कविता

दिशा

इतिहास

और तुममें  

 

आवेग...दृष्टि... दिशा, इतिहास

सभी तुम हो

 

…… …

 


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