सब फर्जी है
सब फर्जी है
तेरे दिल के लिफ़ाफ़े में अटकी पड़ी
जो इस दिल की अर्जी है....
आती है जो लबों पर तेरी याद बनकर
अब तो मुस्कान भी वो फर्जी है....
मैंने तो कर दिया है खुद को तेरे हवाले
तूँ आबाद कर या बरबाद कर दे, अब तो ये तेरी मर्जी है....
बनाकर मुझे अपना वो ख्वाब किसी ओर का बुनता है
ये कैसी तेरी मौहब्बत या तेरी खुदगर्जी है....
बनाते हैं वो नमाजियों के लिए टोपियां
बड़े दिल वाले मेरे देश के दर्जी है....

