सौंदर्य बोध

सौंदर्य बोध

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सौंदर्य के मापदंड क्या हैं ?

कोई जानता है क्या ?

तन की धवलता या मन की धवलता ?

क्या स्त्री है सौंदर्य की प्रतिमूर्ति

यदि है गौरांगी ?


तो क्या नहीं जीना चाहिए 

श्याम वर्णी स्त्रियों को ?

जो बनाती हैं मजबूत हाथों से

मकानों की दीवारें।


सिर पर रखकर टोकरियां,

हाथों को धूल मिट्टी से सानकर,

बना देती हैं अट्टालिकाएं।


विशाल रंगीली इमारतों के शीशों से,

झलकते सौंदर्य को गौर से देखना।

श्वेत श्याम की परिपाटी से मुक्त होकर,

तभी होगा सच्चा सौंदर्य बोध।


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