"लहर - लहर लहराए तिरंगा"
"लहर - लहर लहराए तिरंगा"
अनेकता में ऐक्य मंत्र को, हिल- मिल सब अपनाओ रे ।
जाति-धर्म की त्याग के बातें, विकसित राष्ट्र बनाओ रे ।
वीर सपूतों की कुर्बानी, कीमत बड़ी चुकाई है ।
जाने कितने आंगन सूने, तब आज़ादी पाई है ।
वाणी प्रखर स्वदेशी की, देश का मान बढ़ाओ रे ।
विश्व बंधुता को अपनाकर, भारत विश्व गुरु कहलाया ।
तकनीकी विज्ञान औ शिक्षा, प्रगति का है युग आया ।
नौनिहाल इस देश के प्यारों, वक्त न अपना गंवाओ रे ।
लहर - लहर लहराए तिरंगा, आन बान और शान रहे ।
चहुं दिशा में फैले यश, भारत का गुणगान रहे ।
भ्रातृत्व भाव समरसता से, आगे कदम बढ़ाओ रे ।