सावन
सावन
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सावन फिर तड़पाने आया
मन में आग लगाने आया
घनन घनन जब मेघा बरसे
पिया मिलन को मनवा तरसे
पिय के बोल पपीहा बोले
ह्रदय में एक दर्द है घोले
विरह पीर बढ़ाने आया
सावन---
कोयल चुप हैं दादुर बोले
बदल गरजे मनवा डोले
ऐसे में प्रिय साथ जो होले
नयनों से घूंघट पट खोले
प्रेम सपन दिखाने आया
सावन फिर तड़पाने आया