Shyam Kunvar Bharti

Classics

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Shyam Kunvar Bharti

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सावन मे निरंतर

सावन मे निरंतर

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रात मे जुगनू चमके न चमके प्रभु तेरा नजारा हो जाये

मै तेरा तू मेरा शिव शंकर गर तेरा ये सहारा हो जाये।


मैं नासमझ, अबोध,अनाड़ी तेरे चरणों जगह मिले

बनु चरण धूल भोले तेरी नजरो का इसारा हो जाये।


तू है अनाथो के नाथ हे भोलेनाथ ले लो अपनी शरण

गर हो कृपा दृस्टी तेरी मेरे जीवन का किनारा हो जाये।


सबने मुंह मोड़ा साथ छोड़ा मेरा मेरी उम्मीद है तू

मैं बालक कहूँ कर जोड़ तेरे चरणों में गुजारा हो जाये।


ग्रीवा गरल पिने वाले दुनिया दुख दूर करने वाले नीलकंठ

हे हरिहर नाथ हरो तम मेरे अंधेरों उजाला हो जाये।


पुत्र कार्तिक गणेश संगिनी गौरा उमा संग सदा बिराजे

मै हूँ बालक तेरा माफ़ करना भूल जो दुबारा हो जाये।


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