साथी
साथी
वह भी क्या घड़ी होती है
जब तुम मेरे पास खड़ी होती है
गम कोसो दूर नजर नहीं आते
खुशियों की मानो लग गई झड़ी होती है
वह भी क्या घड़ी होती है
जब तुम मेरे पास खड़ी होती है।
शायद मांगी थी मैंने खुदा से
पहले कोई मन्नत मांगी थी
आज आखिर हो गई पूरी
अब तक जो अड़ी हुई है
अभी क्या घड़ी होती है
जब तुम मेरे पास खड़ी होती है।

