STORYMIRROR

Krishna singh Rajput sanawad

Abstract

3  

Krishna singh Rajput sanawad

Abstract

नारी

नारी

1 min
480

जो नारी है वह सब पर भारी है

एहसान इतने इसके कि पूरा

पुरुष वर्ग इसके के आभारी है


फिर भी इज्जत और मान सम्मान

नहीं मिल रहा इनका क्या बस

दिखावे की इज्जत करें

इतनी जी हमारी जिम्मेदारी है


आज की जो नारी है

वह सब पर भारी है

दुर्गा है आदि शक्ति है

रूप वह काली है


यह न समझो कि अब

वह अगला है

अकेली है वह बेचारी है


आज की जो नारी है

अब वह सब पर भारी है

बहुत सहन कर ली उसने

मार किस्मत की अब बन चुकी

धधकती आग जो


अब तक बनी चिंगारी है

आज की जो नारी है

वह सब पर भारी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract