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Krishna singh Rajput sanawad

Abstract

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Krishna singh Rajput sanawad

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जमाना. बुरा है

जमाना. बुरा है

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तकलीफ जमाने को लाख होगी।

तुम तुम्हारी खुशियां कभी मत खोना

तकलीफ जमाने को लाख होगी

तुम तुम्हारी खुशियां कभी मत खोना


बस खुश रहना सीख लो तुम मिलकर आपस में

सुनकर बातें ही ने नादान दुनिया

वालों के तुम कभी मत रोना

किसी की रोक-टोक नहीं है यह जिंदगी खुद की है।

 इसमें तुम्हें ही पाना और तुम्हें ही है खोना


 तकलीफ जमाने को लाख होगी

 तुम्हारी तुम कभी खुशियों को मत खोना

अगर सुनते रह गए हम इनकी बातों को तो

छोड़ कर हमारी हकीकत की

खुशियां बन जाएंगे एक खिलौना।


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