साथ निभाएं आजीवन
साथ निभाएं आजीवन
एक दूजे का हाथ है थामा ,
यह साथ निभाएं आजीवन।
विस्मृत कर दें कटुक पलों को,
सदा प्रफुल्लित रखना है मन।
जननी-जनक महत्त्वपूर्ण अति,
पर साथ न निभाएं जीवन भर।
निज आत्मा अंश सौंपकर तुमको,
दोनों दम्पत्ति हो गये पूरे बेखबर।
पाणिग्रहण किया एक दूजे का,
दृढ़ वचन पर ही रहोगे दोनों जन।
एक दूजे का हाथ है थामा ,
यह साथ निभाएं आजीवन।
विस्मृत कर दें कटुक पलों को,
सदा प्रफुल्लित रखना है मन।
जब उष्ण था शोणित युवा काल में,
मतभेदों के भी रहे होंगे कुछ पल।
विस्मृत कर दें उन अप्रिय क्षणों को,
ढलती वय समस्याएं मिल करें हल ।
तुम ही एक दूजे के इकलौते साथी हो,
विचार करें बस हर हाल ही एक मन।
एक दूजे का हाथ है थामा ,
यह साथ निभाएं आजीवन।
विस्मृत कर दें कटुक पलों को,
सदा प्रफुल्लित रखना है मन।
निज कुलों की ज्योति के वाहक हो,
संस्कारित ही वाहक दो इस जग को।
पथ शुभता का ही बस चुनना है तुम्हें,
तव संतति ही चुने शुभता के मग को।
अनुकरणीय ही तव आचार-विचार बनें,
कालजयी उत्कृष्ट प्रथा का हो अभिनंदन।
एक दूजे का हाथ है थामा,
यह साथ निभाएं आजीवन।
विस्मृत कर दें कटुक पलों को,
सदा प्रफुल्लित रखना है मन।